खेतों में फसलों के कट जाने के बाद बचे वेस्ट को इस्तेमाल कर सरकार बायो हाइड्रोजन फ्यूल बनाने की तैयार कर रही है। देश का पहला बायो हाइड्रोजन प्लांट मध्यप्रदेश में स्थापित किया जाएगा। यह प्लांट खंडवा जिले में लगाया जा सकता है। बायो हाइड्रोजन फ्यूल से भविष्य में ५५ विमानन कंपनियों के लिए उपयोग में लाया जाएगा। प्रदेश में कुछ प्राइवेट प्लेयर्स इस योजना पर काम कर रहे हैं। उद्यमियों ने प्लांट लगाने का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 6 0 करोड़ रुपए की लागत आएगी जिसके लिए सरकार भी प्लांट लगाने में मदद करेगी। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही खंडवा में देश का पहला कमर्शियल ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित हो जाएगा। फसल कटने के बाद खेतों की खरपतवार से सीएनजी, एलएनजी और बायोहाइड्रोजन गैस बनेगी।
१5 टन कृषि अपशिष्ट (बायोमास- पराली, भूसा, सब्जियों के 5 छिलके, पेड़-पौधों की पत्तियां, लकड़ी, पाम वेस्ट, फूल आदि) का प्लांट के अंदर प्रोसेस कर सात से साढ़े सात टन हाइड्रोजन गैस तैयार की जाएगी। खंडवा जिले की पुनासा तहसील के जलकुंआ गांव में १0 एकड़ जमीन की आवंटन की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
जिले में एफपीओ (फार्मर्स प्रोडक्शन आर्गेनाइजेशन) के तहत इस योजना पर काम हो रहा है। प्रत्येक एफपीओ में 300-300 किसानों को रखा जाएगा। खंडवा, पुनासा में ये बनाए जा चुके हैं। खालवा और पंधाना में जल्द बना लिए जाएंगे। पूरे प्रदेश में तेजी से एफपीओ बनाए जा रहे हैं।
फ्यूल को लेकर कई तरह के इनोवेशन हो रहे हैं। हम भी बेंबू से सीएनजी प्लांट और सिर्च सेंटर पर काम कर रहे हैं। भविष्य में कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में किसानों के साथ मिलकर ईंधन के नए विकल्पों पर काम किया जा रहा है।
आशीष भटनागर
सीईओ, Bambooram Agro Pvt. Ltd
तीन तरह की एनर्जी का उत्पादन
बता दें कि हाइड्रोजन फ्यूल की नीति को लेकर लघु एवं सूक्ष्म मध्यम (एमएसएमई) विभाग के मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा भी कह चुके हैं कि अगले दस साल बाद सरकार सीएनजी से आगे बढ़कर हाइड्रोजन फ्यूल पर काम कर रही है। वहीं, उद्यमी जयेश जायसवाल का दावा है, इस प्लांट में खेतों की खरपतवार का इस्तेमाल होगा। कृषि अपशिष्ट से रोज एक टन क्रूड ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। इसमें मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और चारकोल अलग हो जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल का उपयोग जेट विमान, रॉकेट, वायुयान के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। प्लांट से 99 फीसदी शुद्ध ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा। यह तकनीक मिर्जापुर (यूपी) के वैज्ञानिक डे. प्रीतम सिंह ने ईजाद किया है। उनकी निजी कंपनी 24 रिएक्टर के इस प्लांट पर १00 लोगों को रोजगार मिलेगा। कंपनी तैयार उत्पाद भी खरीदेगी।
सीएनजी के साथ बाजार में उपलब्ध होगा हाइड्रोजन का विकल्प
रिलायंस, टाटा और दूसरी सरकारी तेल कंपनियां भी हाइड्रोजन फ्यूल पर काम कर रही हैं। हाल ही में टाटा मोर्ट्स इंडियन ऑयल कॉपेरिशन के साथ मिलकर हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली बस बाजार में पेश कर चुका है और ऑटो सेक्टर कंपनियां भी भविष्य में शुरू होने वाले हाइड्रोजन फ्यूल के हिसाब से अपने वाहनों को डिजाइन करेगी। इससे पहले रतनजोत से भी विमान के लिए फ्यूल बनाकर विमान उड़ाया जा चुका है। अब बांस से सीएनजी का फॉमेंट भी एमपी में दिख्लाई देगा जिससे सीएनजी बनेणी और सड़कों पर वाहन दौड़ते नजर आएंगे।